
जंगल की आख़िरी पुकार
(एक हृदयविदारक कहानी )
बहुत समय पहले की बात है। एक विशाल, घना और हरा-भरा जंगल था। सूरज की किरणें जब उस जंगल के ऊँचे-ऊँचे पेड़ों के बीच से छनकर नीचे गिरती थीं, तो लगता था जैसे धरती पर कोई जादू उतर आया हो। हवा में महक थी – गीली मिट्टी की, पत्तों की, और जीवन की। वहां चिड़ियों की चहचहाहट सुबह का संगीत बनकर गूंजती थी। नदियाँ कल-कल बहती थीं, और हर जानवर की आँखों में शांति की चमक होती थी।
इस जंगल में शेर रहता था – गर्व से, मगर अत्याचार के बिना। वह राजा था, लेकिन तानाशाह नहीं। हिरण, खरगोश, तोता, गिलहरी, हाथी, बाघिन, उल्लू – सब मिल-जुलकर रहते थे। झगड़े होते थे, लेकिन फिर सुलह भी हो जाती थी। वो जंगल सिर्फ पेड़ों का नहीं था, वो एक जीवित दुनिया थी – भावनाओं, रिश्तों, और प्रेम से भरी हुई।
एक दिन की बात है, जब सब कुछ बदल गया।
दूर शहरों से कुछ अजनबी आए। उनके साथ थी एक विशाल पीली मशीन – जेसीबी, और कुछ लोग जो पेड़ों पर निशान लगा रहे थे। जंगल के जानवरों ने पहले इसे समझा नहीं। उन्हें लगा ये इंसान थोड़ी देर रुकेंगे और फिर चले जाएंगे – जैसा कई बार होता था।
लेकिन इस बार बात कुछ और थी।
अगले दिन सुबह की पहली किरण के साथ ही जेसीबी की गड़गड़ाहट जंगल में गूंजने लगी। वो आवाज ऐसी थी जैसी किसी ज़ख़्मी की चीख – अजनबी, डरावनी, और दर्द से भरी हुई। सबसे पहले गिरा एक बूढ़ा बरगद। वो बरगद – जो सालों से हाथियों की छाया बना था, जिसके नीचे मोर नाचते थे और तोते गीत गाते थे। उसकी जड़ों के साथ गिरे अनगिनत घर – घोंसले, मां की गोद, बच्चे।
एक नन्हा तोता अपने तिनकों के ढेर में माँ को ढूंढता रहा। लेकिन अब वहां सिर्फ खामोशी थी – और धूल। उसकी मासूम आँखों में कुछ टूट गया था – विश्वास।
इसके बाद एक के बाद एक पेड़ गिरे। जेसीबी बढ़ती रही, और उसके पीछे मजदूर आग लगा देते।
शुरुआत में प्राणियों को समझ नहीं आया कि ये सब क्यों हो रहा है। लेकिन जल्द ही डर ने जगह बना ली।
बाघिन ने अपने दो बच्चों को लेकर भागने की कोशिश की, मगर आग चारों तरफ फैल चुकी थी। उसका एक बच्चा धुएं की वजह से बेहोश हो गया। बाघिन उसे मुंह में दबाकर दौड़ी – अपने जान की परवाह किए बिना।
एक खरगोश जो अपनी मां से लिपटा सो रहा था, जब उठा तो चारों तरफ लपटें थीं। मां उसे खोज नहीं पाई – और वो वहीं जल गया। उसकी चीख… सिर्फ आग ने सुनी।
शेर – जंगल का राजा – जो हमेशा गर्व से सीना तानकर चलता था, आज धरती पर बैठा था। वो कुछ नहीं कर पा रहा था। उसकी दहाड़ अब डराने वाली नहीं थी, वो अब बस एक दुखभरी पुकार थी।
उसने आसमान की ओर देखा और पूछा –
“हे भगवान… हमने क्या गुनाह किया?
क्या ये धरती हमारी नहीं थी?
क्या सांस लेने का हक़ सिर्फ इंसानों का है?”
कोई जवाब नहीं आया।
हाथी – जो कभी जंगल का सबसे मजबूत प्राणी माना जाता था – अब आंखों में आंसू लिए चुपचाप पेड़ों की राख को सूंघ रहा था। शायद उसे अपने बचपन की याद आ रही थी – जब वो इसी जंगल में खेला करता था। वो पेड़, जिसकी छाल उसने पहली बार चखी थी… अब वहीं जल कर राख बन चुका था।
नदी भी चुप नहीं रह सकी। उसकी धार जो कभी निर्मल और ठंडी हुआ करती थी, अब काली पड़ चुकी थी – राख और आंसुओं से लथपथ। उसके किनारों पर अब न कोई मृग पानी पीने आता था, न ही कोई चिड़िया स्नान करने।
कुछ प्राणी भाग निकले, कुछ मर गए, और कुछ… बस गायब हो गए।
और फिर एक दिन, जंगल ने आख़िरी सांस ली।
अब वहाँ जंगल नहीं है।
वहाँ एक बड़ी इमारत है – मॉल, फैक्ट्री या कॉलोनी।
वहाँ गाड़ियों का शोर है, रोशनी है, और इंसानों की भीड़ है।
पर कोई नहीं जानता कि उस जगह की मिट्टी में कितनी कहानियाँ दबी हुई हैं।
कोई नहीं जानता कि रात को जब सब सो जाते हैं, तब जंगल फिर से सिसकता है।
हवा में अब भी वो चीखें तैरती हैं – बाघिन की, खरगोश की, उस नन्हें तोते की।
आज एक बच्चा जब उस मॉल में आइसक्रीम खाता है,
उसे नहीं पता कि वहीं कभी एक चिड़िया ने घोंसला बनाया था।
जब कोई आदमी अपनी गाड़ी पार्क करता है,
उसे नहीं पता कि उसकी कार की छांव में कभी एक हाथी खेला करता था।
जब लोग वहां सेलिब्रेशन करते हैं,
उन्हें नहीं पता कि उन्होंने किसी का घर जलाकर अपनी खुशी बनाई है।
पर क्या ये सिर्फ इंसानों की गलती है?
या फिर हम सब दोषी हैं – जो चुप रहे?
अगर हमने एक बार आवाज उठाई होती,
तो शायद वो पेड़ बच जाते,
वो जानवर ज़िंदा रहते,
वो जंगल आज भी सांस ले रहा होता।
आज भी बहुत से जंगल बचे हैं।
बहुत से जानवर अब भी अपने घर में चैन से रहते हैं।
लेकिन… कब तक?
जब अगली बार कोई जेसीबी किसी पेड़ के नीचे पहुंचे,
तो याद रखना – वहां कोई नन्हा तोता है,
जो तिनकों से सपने बना रहा है।
जब अगली बार कोई जंगल जलाया जाए,
तो पूछना – क्या ये ज़रूरी है?
क्योंकि अगर हम आज भी नहीं जागे,
तो कल हमारी दुनिया भी ऐसी ही खामोश हो जाएगी।
और तब…
हमारी पुकार सुनने वाला कोई नहीं होगा।
क्या तुम अब भी सुन पा रहे हो?
जंगल की आख़िरी पुकार…😥🥺
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